आज फिर से एक सपना देखा,
कि फिर सब पहले जैसा है।
वही तुम हो, वही मैं हूँ,
और आखों में वही ख्वाब हैं।
आज भी वही काली शर्ट पहनी है,
जिसने मैं तुम्हे सबसे अच्छा लगता था।
दिल भी कह रहा है कि तुम आओगी,
बोलोगी कि एक नयी शुरुवात करते हैं।
फिर एक आवाज़ से उठ खड़ा हुआ,
किसी के रोने की आवाज़ थी,
फिर देखा तुम नहीं हो, मैं वहीं हूँ,
और आँखो में बस टूटे ख्वाब हैं।
– विवेक गुप्ता